Friday 23 May 2014

तेरी
मोहब्बत की
प्यास लिए
चलते रहे, फिरते रहे
थक
गए कभी
कभी हार कर रो लिए

इंतज़ार की धुप में
जलता रहा बदन
छाव की
तलाश में सहरा से
सहरा चले
पर
लगता है
ये प्यास अब
नहीं मिटेगी

कोई आये
ज़हर दे दें मुझको

तेरी
मोहब्बत की
प्यास लिए ही
अब मरने दे मुझको  ……….

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