Saturday 17 May 2014

एक
फ़ितूर
जन्मा
तेरे मेरे बीच 
जो हवाओं में
ज़हर घोल रहा है

मैं घुट रही हूँ....

लगता है..
बस ख़त्म हो जाऊँगी....

No comments:

Post a Comment