आधी रात जब तुम
इन सर्द रातों में
मेरी गली से गुज़रते हुए
शब्दों की गर्माहट
अपने लबों पर रख
मेरा नाम बुदबुदाते हो
उस वक़्त
मेरे कमरे में ठंडी पड़ी
मेरी ओढ़नी
तुम्हारी
बाहों की तरह
मुझे सुकूं देती है....
तब
मैं थोड़ी और
बेपरवाही से करवट लेती हूँ....
इन सर्द रातों में
मेरी गली से गुज़रते हुए
शब्दों की गर्माहट
अपने लबों पर रख
मेरा नाम बुदबुदाते हो
उस वक़्त
मेरे कमरे में ठंडी पड़ी
मेरी ओढ़नी
तुम्हारी
बाहों की तरह
मुझे सुकूं देती है....
तब
मैं थोड़ी और
बेपरवाही से करवट लेती हूँ....