Saturday 8 June 2013

आना कुछ यूँ कि मुझे इस दुनिया से जुदा कर सको
पल भर के लिए नहीं मेरे लिए मेरे बन के रह सको
मैं पलकों को बंद कर लूंगी जो तुम इनमें हमेशा रह सको
मद्दतें हुई तुमको देखे हुए इनायत होगी जो इशारा कर सको
मैं सब छोड़ चली आऊंगी जो तुम मुझे लेने आ सको
हाँ सोचती हूँ तुमसे आज मैं अपने लिए वक़्त मांगूं
अगर तुम अपने बेवक्त से कुछ वक़्त निकाल सको
कुछ लम्हे मेरे नाम कर दो एक मुद्दतन रात के लिए
मेहरबानी बड़ी ........ जो तुम उधार ही कर सको
लग़्ज़िशें कदम मांगते रहे सहारा दम भरने का
मैं इंतज़ार कर लूंगी जो तुम वादा कर सको
हिज्र की रात में आसमा भी तन्हा रहे
मैं उस रात चांदनी मांग लूंगी जब तुम आ सको
बेरुखी भरा हर मौसम सुहाना मेरा
मैं बिन मौसम सावन बन जाऊंगी जो तुम आ सको
वो वक़्त का ताला तोड़ दूंगी खिड़की का
गर कभी जो मेरी गलियों से जा सको
हर मकसद मैं बन जाऊंगी हर शर्त जीत लेना
और ये भी बता देना ......
क्या कर लूँ मैं तुम्हारे लिए जो तुम न जा सको.....

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