Friday 17 May 2013

अब जो तुम ना लोटोगे तो
आओ फिर बटवारा कर लो
तुम अपने दिल से जो चाहो
वो सभी सोगातें रख लो....

हाँ मैं दोषी नहीं फिर भी चलो
मेरी गवाही तुम ले लो
गिनाते थे जो ऐब मुझ को
वो तुम अब लिख के दे दो.....

भर के रखे तुम्हारे लिए
अरमानो के पैमाने जो
जाते हुए उनका अंतिम
संस्कार खुद से कर दो
अब भी कोई बता दो
शर्त रखते हो तो
इस वक़्त उसे भी
आखिरी सलामी दे दो....

सूखे फूलो को मैं रख लूंगी
तुम उनके जज्बात ले लो
मेरी आँखों के अक्स का
तुम क्या करोगे छोड़ो
तुम धूप का चश्मा रख लो
याद आएँगी मुझे वो बरसातें
मुझे गीली सही तुम
वो सूखी चादर रख लो....

मैं अंधेरों में ही तुम्हे
याद कर लुंगी
तुम तारों की झिलमिल
बारातें रख लो
मेरा कल तो तुम
ले ही चुके हो अपने
कल के लिये
मेरी दुआएं रख लो....

मेरे लिये तुम्हारे धोखे सही
अपने लिये मेरी वफाएं रख लो
सलामत रहे मोहब्बत मेरी
कम जो पड़े तो मेरी
उम्र भी तुम रख लो....

No comments:

Post a Comment